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इस विशेष खंड में, जिसमें वर्तमान मामलों और सुजला क्षेत्र से संबंधित शिक्षाप्रद फिल्में और शिक्षात्मक वीडियो शामिल हैं |
छापर, राजस्थान, भारत के चूरू जिले में एक छोटा शहर और नगर पालिका है। छापर और ताल छापर भारत के शेखावाटी क्षेत्र में स्थित है। यह जयपुर से 210 किलोमीटर और यह रतनगढ़ से सुजांगढ़ के रास्ते पर स्थित है। ताल छापर सेंचुरी छुआरू जिले की सुजांगढ़ तहसील में स्थित है।
ताल छापर अभयारण्य राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में स्थित है, जो चुरू जिले के अंतर्गत आता है। यह अभयारण्य काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध है और विभिन्न प्रकार के पक्षियों का घर भी है। यह अभयारण्य जयपुर से 210 किमी दूर है और सुजानगढ़ से रतनगढ़ के समीप स्थित है। इसका समूह टॉपिकल थॉर्न फॉरेस्ट में आता है और इसमें बहुत कम पेड़ हैं। अभयारण्य क्षेत्र की विशेषता सर्दी, गर्मी और मानसून है। इस क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा में बड़ा अंतर है। यहाँ एक विश्राम गृह भी है, जिसमें आवास के छह कमरे हैं।
गोपालपुरा गाँव, राजस्थान, भारत, चूरू जिले के सुजांगढ़ तहसील में स्थित है। यह सुजांगढ़ से 14 किमी और चूरू से 110 किमी की दूरी पर है। गाँव में कुल जनसंख्या 6,156 है और ग्राम पंचायत भी है। साक्षरता दर 49.20% है, और पिनकोड 331503 है। गाँव का प्रशासन स्थानीय चुनावों के माध्यम से चुने गए सरपंच द्वारा होता है। यह सुजांगढ़ विधानसभा क्षेत्र और चूरू सांसदीय क्षेत्र में आता है।
आज हम जानेंगे कसुंबी गांव का इतिहास भूगोल और वर्तमान । कसुंबी काफी प्राचीन गांव है और यह जोधपुर रियासत का हिस्सा था कसुंबी ग्राम की स्थापना 1841 बसंत पंचमी के दिन हुई ठाकुर नारायण सिंह जी ने की कांक्षा तरनाऊ । कसुंबी में पहले बिदा हो तो का राज था फिर नारायण सिंह जी आकर इस गढ़ की स्थापना कि जिसका नाम कसुंबल गढ़ के नाम से जाना जाता है।
इस वीडियो में हम आपको शेयर करवाएंगे लाडनूं तहसील के डाबड़ी गांव की जहां क्या है खास क्या है इसका इतिहास इसके बारे में आप जानेंगे इस वीडियो में ।
मीठड़ी गांव लाडनूं तहसील नागौर जिला और राजस्थान राज्य का गांव है । जानेंगे हम क्या है इसकी खास बात, क्यों है यह प्रसिद्ध ।
हमारे इस वीडियो की श्रृंखला में आपका स्वागत है जिसमें हम सुजला क्षेत्र के अलग-अलग स्थानों गांव कस्बों की डॉक्यूमेंट्री वीडियो बनाकर आपके सामने पेश करेंगे । इस वीडियो में हम आपको शेयर करवाएंगे लाडनूं तहसील के रोडू गांव की जहां क्या है खास क्या है इसका इतिहास इसके बारे में आप जानेंगे इस वीडियो में ।
आज हम जानेंगे राजल बाईसा राजस्थान में स्थित एकमात्र मंदिर के बारे में जो कि स्थित है समना धाम में। लाडनू के इस दिव्य मंदिर में नवरात्रि में खूब भव्य प्रोग्राम आयोजित होते हैं जानेंगे किस प्रकार से नवरोज की कुप्रथा को राजल बाईसा ने समाप्त किया ।
आज हम आपको दर्शन करवाएंगे कैसे मंदिर के जो कि 2 रियासतों जयपुर और जोधपुर के बीच में बंटा हुआ है मंदिर के बीच में एक दरार है जो मंदिर को बिल्कुल बीच से बांटती है जो वर्तमान में आधा हिस्सा नागौर जिले में और आधा हिस्सा सीकर जिले में है । दोनों हिस्सों में नागौर की लाडनूं और सीकर की लक्ष्मणगढ़ तहसील लगती है । दोस्तों किस प्रकार से इसका रहस्यमई इतिहास है क्यों यह दो भागों में बंटा इसके बारे में हम जानकारी प्राप्त करेंगे और किस प्रकार के यहां पर मेले होते हैं और किस प्रकार का यहां पर आयोजन होता है उसके बारे में भी हम इस वीडियो में आपको बताएंगे वीडियो कौन से तक पूरा देखें साथ ही साथ शेयर करें इस वीडियो को सभी के साथ लाइक और कमेंट करें अपने अपने विचार ।
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका सुजला वायरल की इस खास श्रृंखला में जिसमें हम आपको करवाएंगे सुजला के ग्राम नगर और मुख्य स्थानों का भ्रमण। आज हम जाएंगे खानपुर और भियाणी की सैर पर जानेंगे क्या है खानपुर गांव का इतिहास और क्या है यहां पर प्रसिद्ध ।
हमारे इस वीडियो की श्रृंखला में आपका स्वागत है जिसमें हम सुजला क्षेत्र के अलग-अलग स्थानों गांव कस्बों की डॉक्यूमेंट्री वीडियो बनाकर आपके सामने पेश करेंगे । इस वीडियो में हम आपको शेयर करवाएंगे लाडनूं तहसील के लैड़ी गांव की जहां क्या है खास क्या है इसका इतिहास इसके बारे में आप जानेंगे इस वीडियो में ।
हमारी इस खाद श्रंखला में जिसमें आपको करवा रहे हैं सुजला के ग्राम नगर मुख्य स्थानों की सैर आज हम करेंगे तंवरा ग्राम की सैर जो कि लाडनूं तहसील का एक गांव है यहां पर एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक बालाजी का मंदिर है जो की डूंगरी पर बसा हुआ है। किसने बनाया यह मंदिर को किसने बसाया तंवरा ग्राम को जानिए इस वीडियो में। वीडियो अच्छा लगे तो शेयर करें कमेंट में अपने सुझाव बताएं और किस विषय पर आगे भी हम वीडियो बनाएं इसके भी आप सुझाव बता सकते हैं ।
नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है हमारी इसका श्रृंखला में इसमें हम आपको करवा रहे हैं सुजला के ग्राम नगर और मुख्य स्थानों की सैर । आज हम भ्रमण करेंगे आसोटा गांव का । असोटा गांव से सालासर बालाजी की प्रतिमा निकली थी इसके अलावा असोटा 5 ग्राम की पंचायत है करीब 50 परिवार यहां रहते हैं पूरी जानकारी के लिए वीडियो देखें और शेयर करें।
नमस्कार दोस्तों आज हम शेयर करेंगे गोपालपुरा स्थित द्रौणांचल आश्रम की जहां द्रोणाचार्य का आश्रम था । वर्तमान में यहां जैन समाज का एक आश्रम है जिसे अर्हम् आश्रम कहते हैं । जानेंगे क्यों इस भूमि को तपोभूमि कहते हैं और यहां पर गुरु द्रोण ने कैसे तपस्या की । दोस्तों बस पास ही डूंगर बालाजी की डूंगरी है जहां पर एक गुफा है जिसमें कहा जाता है कि यह अश्वत्थामा की गुफा है । साथी दोस्तों चाडवास के आसपास के क्षेत्र को गंधर्व बन के नाम से जानते थे महाभारत काल में जहां पर ऋषि भारद्वाज का आश्रम भी था । राजस्थान के इतिहास के बारे में जानेंगे इस वीडियो में वीडियो को अंत तक देखें और शेयर करें ।
छपरा निवासी धन्ना राम प्रजापत अकेले व्यक्ति ने कर दिया एक मुक्तिधाम का कायाकल्प बना दिया इसे आरोग्यधाम । मुक्तिधाम को तब्दील किया एक उद्यान में जिसमें आयुर्वेदिक औषधियों और विभिन्न में प्रकार के पौधे पेड़ लगाए गए साथी पशु पक्षियों के लिए भी दाना पानी की व्यवस्था की गई । अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त यह मुक्तिधाम अपने आप में एक मिसाल है कि किस प्रकार एक वीरान जगह जिस पर कोई ध्यान नहीं देता उसको भी आकर्षण का केंद्र बनाया जा सकता है ।
जिसके कारण बाद में लोगों ने बाबा के चमत्कार मान्य लगे और वहां पर पत्थर रखने लगे। ग्वालिया बालाजी श्यामपुरा की खास बात यह है कि जो भी मन्नत मांगो यह पूरी हो जाती है काफी लोग यहां पर आए उनकी मन्नत पूरी हुई और उन्होंने इस मंदिर निर्माण में भी अपनी भूमिका निभाई। साल में एक बार यहां पर रामकथा का आयोजन होता है और इसका एक और रोचक तथ्य है कि जो भी यहां से गाड़ी वाला निकलता है वह हॉर्न देकर ग्वालिया बालाजी को प्रणाम करके जाता है बिना हॉर्न दिए जाने पर लोग शुभ नहीं मानते।
दोस्तों बता रहे हैं आपको एक अद्भुत चमत्कारी और रहस्यमई मंदिर के बारे में जो राजस्थान के नागौर जिले के लाडनूं तहसील का श्यामपुरा गांव में बसा हुआ है जहां पर गाय चराने वाले कुछ ग्वाला ने मिलकर एक पत्थर को अगरबत्ती जला कर पूजा करना शुरू किया और खेल खेल में उसे एक मंदिर बना दिया । दरअसल दोस्तों बात ऐसी है कि जब ग्वाले खेलते थे और सड़क से कोई गाड़ी गुजरती थी तो वह उनसे पत्थर की मांग करते ताकि मंदिर बना सके परंतु ट्रॉली वाले ऐसे ही निकल गए परंतु आगे जाकर उनका टायर पंचर हो गया फिर से यह दो-तीन बार घटना हुई ।
नमस्कार दोस्तों सुजला वायरल में आपका स्वागत है । आज हम इस वीडियो में करवाएंगे लाडनूं स्थिति करंट बालाजी मंदिर का दर्शन । किस प्रकार से इसका नाम करंट बालाजी पड़ा और क्यों है यह लाडनू के हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र साथ ही साथ क्या-क्या प्रसिद्ध त्यौहार यहां मनाया जाते हैं ।
नमस्कार दोस्तों सुजला वायरल में आपका स्वागत है । आज हम इस वीडियो में करवाएंगे लाडनूं स्थिति करंट बालाजी मंदिर का दर्शन । किस प्रकार से इसका नाम करंट बालाजी पड़ा और क्यों है यह लाडनू के हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र साथ ही साथ क्या-क्या प्रसिद्ध त्यौहार यहां मनाया जाते हैं ।
इस वीडियो में हम लाडनू के बारे में वर्णन लेकर आए हैं लाडनूं का इतिहास लाडनू की भौगोलिक स्थिति जनसांख्यिकी स्थिति लाडनू की जलवायु लाडनू के प्रसिद्ध स्थान लाडनू के आसपास के प्रसिद्ध स्थान लाडनू की प्रसिद्ध हस्तियां और जैन मंदिर के बारे में । यह वीडियो पसंद आए तो इसे शेयर करें हम ऐसे ही वीडियो लेकर आते रहेंगे पूरे सूजलांचाल अंचल क्षेत्र के। सब्सक्राइब करें हमारे चैनल।
सुजानगढ़ के इतिहास भौगोलिक स्थिति जनसांख्यिकी स्थिति दर्शनीय स्थल जलवायु सभी के बारे में आपको जानकारी मिलेगी इस वीडियो में। देखें वीडियो को लाइक करें कमेंट करके बताएं आपको कैसा लगा और शेयर करें अगर आपको पसंद आया तो। ऐसे ही वीडियो पाते रहने के लिए सब्सक्राइब करें हमारा चैनल फेसबुक पर लाइक करें इंस्टाग्राम पर फॉलो करें खबरें कवरेज और डॉक्यूमेंट्री आप तक पहुंचाते रहेगा सुजला वायरल।